कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव्यता और भव्यता देखते ही बनती है, क्योंकि इस दिन काशी नगरी में देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. देव दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को दीपावली का त्योहार मनाए जाने के करीब 15 दिन बाद मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा को स्वर्ग लोक से सभी देवी-देवता देव दिवाली का पर्व मनाने के लिए काशी आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा की शाम पतितपावनी मां गंगा की विशेष आरती की जाती है और बनारस के 84 घाटों को मिट्टी के दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा को लेकर यह भी कहा जाता है कि इसी पावन तिथि को शाम के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था । कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरारी अवतार लेकर त्रिपुरासुर का वध किया था. इसी तिथि पर भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नाम के असुर भाईयों की तिकड़ी का खात्मा करके देवताओं को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी. त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवताओं ने काशी में दीप जलाकर दीपावली मनाई थी, इसलिए इसे देव दिवाली कहते हैं. माना जाता है कि तब से काशी में गंगा घाटों को दीयों की रोशनी से रोशन कर देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। मैं कामना करती हूं,कि यह पवित्र पर्व आप सब के जीवन को सुख, समृद्धि एवं शांति से भर दे। 🙏🙏💐💐