कार्तिक की कहानियाँ
बुढ़िया माई की कहानी
एक बुढ़िया माई थी जो चातुर्मास में पुष्कर स्नान किया करती थी। उसके एक बेटा और बहु थी। सास ने बहु को सैगार (उपवास में खाने योग्य) बनाने को कहा तो बहु ने जमीन के पापडे बांध दिए। बेटा माँ को पहुँचाने के लिए पुष्कर गया। रास्ते में माँ से बोला माँ सैगार कर ले। जहाँ पानी मिला वही सैगार करने बैठ गई, तो पापडे फलाहार बन गये। पुष्कर में माँ के रहने के लिए झोंपडी बना कर बेटा वापस घर आ गया।
रात्रि में श्रावण मास आया और बोला बुढ़िया माई दरवाजा खोल। तब बुढ़िया माई ने पूछा तू कौन है ? मैं श्रावण, बुढ़िया ने तुरन्त दरवाजा खोल दिया। बुढ़िया ने शिव पार्वती की पूजा अर्चना की बेलपत्र से अभिषेक किया। जाते समय श्रावण ने झोंपडी के लात मारी झोंपडी की एक दीवार सोने की हो गई। फिर भाद्रपद मास आया उसने भी दरवाजा खोलने को कहा, बुढ़िया ने दरवाजा खोला सत्तु बना कर कजरी तीज मनाई भाद्रपद भी लात मार गया तो दूसरी दीवार हीरे की हो गई। इसके बाद आश्विन मास आया और उसने भी दरवाजा खोलने को कहा, बुढ़िया ने दरवाजा खोला, पितरों का तर्पण कर ब्राह्मण भोज करा कर श्राद्ध किया। नवरात्रि में माँ दुर्गा को अखंड ज्योति जलाकर प्रसन्न किया, सत्य की विजय दिवस के रूप में बुराई का अंत की खुशी में दशहरा मनाया। आश्विन मास ने लात मारी और तीसरी दीवार भी बहुमूल्य रत्नों से जडित हो गई।
इन सब के बाद कार्तिक मास आया उसने भी दरवाजा खोलने को कहा। बुढ़िया ने दरवाजा खोला अति प्रसन्न मन से कार्तिक स्नान किया दीपदान कर दीवाली, गोवर्धन पूजा, भईया दूज, आँवला नवमी मनाई। कार्तिक मास ने जाते समय लात मारी तो झोंपडी के स्थान पर महल बन गया। बुढ़िया तन मन धन से गरीबों की सेवा कर भजन कीर्तन में अपना समय व्यतीत करने लगी। बेटा अपनी माँ को लेने आया तो माँ और झोंपडी को पहचान न सका तो पड़ोसियों से पूछा। उन्होंने बताया तो बेटा माँ के चरणों में गिरकर बोला माँ घर चलो। सारे सामान के साथ घर ले आया।
सास के ठाठ देखकर बहु के मन में लालच आ गया और उसने अपनी माँ को भी पुष्कर छोडकर आने को कहा तो उसका पति अपनी सास को भी छोड़ आया। वहाँ सास चार समय भोजन करती और दिन भर सोती चारों मास आये और चले गये। जाते-जाते झोंपडी को लात मारी और झोंपडी गिर गई। बहु की माँ गधी की योनि में चली गई क्यों की औरत लक्ष्मी का रूप है और उसे लक्ष्मी की तरह चंचल होना चाहिए। भगवान की पूजा और अतिथि का समान करना चाहिए।
चौमासे के बाद बहु ने कहा अब माँ को ले आवो, जब जवाई सास को लेने गया तो कही न मिली, लोगों से पूछने पर लोगो ने बताया की तेरी सास धर्म कर्म कुछ न करती थी खाती थी और सोती थी जिससे वह गधी बन गई। जवाई गधी (सास) को बांध कर घर ले आया उसकी पत्नी ने पूछा मेरी माँ कहाँ है तब पति ने कहा तेरे लालच की वजह से तेरी माँ गधी बन गई।
बड़े-बड़े विद्वानों, ब्राह्मण, ऋषि, मुनियों से पूछने पर उन्होंने बताया की तेरी सास के स्नान किये पानी से स्नान करने पर उसे मनुष्य योनि मिलेगी। तब बहु ने ऐसा ही किया और उसकी माँ पुन: मनुष्य योनि में आ गई।
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