कारगिल वीर
घनाक्षरी – कारगिल वीर
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जब भी पड़ा है वक्त,
भारती का बन भक्त।
हिन्द के वीरों ने सदा,
वीरता दिखाई हैं।
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घाव देना चाहा जब,
भारत को बैरियों ने।
तब-तब बैरियों को,
धूल भी चटाई है।
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विषम समय जब,
कारगिल में बनी तो।
साहस पौरुष शौर्य,
मन में जगाई है।
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भले निज प्राण दिए,
तिरंगे को हाथ लिए।
टाईगर हील जीत,
ध्वज फहराई है।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”✍️