“कारगिल विजय दिवस”
ना पूछी जात ना पूछा मजहब, वो नेता नहीं फौजी थे जनाब उन्होंने सिर्फ अपना हिंदुस्तान देखा,
हमारे आज के लिए अपना कल क़ुर्बान कर दिया,
जहाँ मुमकिन ना था इंसान का सांस लेना भी वहां तिरंगे को लहराके हिंदुस्तान की शान कर दिया,
26 जुलाई को एक ऐतिहासिक कारगिल विजय दिवस नाम कर दिया।
“लोहित टम्टा””