Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2021 · 1 min read

कायल

किसी ने गीत लिखे
किसी ने कविता कही
किसी ने शेर सुनाए
अलग अलग बयार बही

मन हुआ मेरा भी कुछ लिखूँ
मन के उदगार किसी से कहूँ
कोई मेरी कलम की ताकत बने
प्यार किसी का स्याही बन बहे

मैं कायल हूँ आपकी रचनाओं का
कद्र करता हूँ आपकी भावनाओं का
मेरा भी मुझे कोई कद्र दान मिले
मिल कर सभी मुझको अपनाओ ना

वीर कुमार जैन
29 अगस्त 2021

Language: Hindi
2 Likes · 214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कब मेरे मालिक आएंगे!
कब मेरे मालिक आएंगे!
Kuldeep mishra (KD)
ख़ुद से ख़ुद को
ख़ुद से ख़ुद को
Akash Yadav
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
रमेशराज के प्रेमपरक दोहे
कवि रमेशराज
बाल कविता: तोता
बाल कविता: तोता
Rajesh Kumar Arjun
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही
Rituraj shivem verma
एक जहाँ हम हैं
एक जहाँ हम हैं
Dr fauzia Naseem shad
2958.*पूर्णिका*
2958.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
महबूबा
महबूबा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
आज़ के रिश्ते.........
आज़ के रिश्ते.........
Sonam Puneet Dubey
जीवन के लक्ष्य,
जीवन के लक्ष्य,
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
यदि आप बार बार शिकायत करने की जगह
यदि आप बार बार शिकायत करने की जगह
Paras Nath Jha
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
Anand Kumar
धीरज और संयम
धीरज और संयम
ओंकार मिश्र
तोड़ डालो ये परम्परा
तोड़ डालो ये परम्परा
VINOD CHAUHAN
बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र :
बहुजनों के हित का प्रतिपक्ष रचता सवर्ण सौंदर्यशास्त्र :
Dr MusafiR BaithA
"मित्रों से जुड़ना "
DrLakshman Jha Parimal
राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Kanchan verma
"लिहाज"
Dr. Kishan tandon kranti
#जिज्ञासा-
#जिज्ञासा-
*प्रणय प्रभात*
प्यासा के राम
प्यासा के राम
Vijay kumar Pandey
*सीधे-साधे लोगों का अब, कठिन गुजारा लगता है (हिंदी गजल)*
*सीधे-साधे लोगों का अब, कठिन गुजारा लगता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
रात का रक्स जारी है
रात का रक्स जारी है
हिमांशु Kulshrestha
//सुविचार//
//सुविचार//
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कहां की बात, कहां चली गई,
कहां की बात, कहां चली गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
नेताम आर सी
प्रीत को अनचुभन रीत हो,
प्रीत को अनचुभन रीत हो,
पं अंजू पांडेय अश्रु
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
Don't get hung up
Don't get hung up
पूर्वार्थ
प्यार चाहा था पा लिया मैंने।
प्यार चाहा था पा लिया मैंने।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...