काम है
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
आशिकों का इश्क़ में मर जाना काम है
मय पर अख्तियार हो के कम ही जरा चढ़े
संभल के हर हाल में घर जाना काम है
जिंदगी में सुकून है कहाँ? वाजिब सवाल है
जिंदगी का जिंदगी भर बस सताना काम है
आँखों में नमी है… ये कैसा जुल्म है
आंसुओं का चेहरे तक बह जाना काम है
हकीकत के आदी हम कभी न हो सके
सपनों में हमारा हमको बुलाना काम है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी