काम है दुनिया का हर पल जलाते रहना
सदा तुम यूं ही मुस्कुराते रहना
काम है दुनिया का हर पल जलाते रहना
आए पल कैसा भी ज़िन्दगी में
हर मुश्किल क्षण को हँसी से ठुकराते रहना
दोस्त से तो हर रोज गले मिलते हो
हर गली दुश्मनों को भी गले लगाते रहना
नाज़ाने कौन कब काम आ जाए ज़िन्दगी में
इसलिए अंजानो को भी अपना बनाते रहना
कर्म ही रह जाते है याँ इंसानो के
‘दीप’कर्म अपने हमेशा सुधारते रहना
©कुल’दीप मिश्रा