*काम पर जाए *
वेचारा रोज वह, मेहनत के काम पर जाए ।
मस्त होके करता है शाम तक,मन लगाये।।
डाँटता है वो भरी दुपहरी में,आके बीच में
वजन थोड़ा उठाता है ,तुझे शरम न आये।।
कल मत आना इधर ,पथरियां चबा लेना
जब देखो तव दिख़े ,जादा बैठा नजर आये।।
वक़ गया ,दोनों आँखे लाल पीली करके
लवजों को वो अपने ,वे स्वाद करके सुनाये।।
खामोशियाँ छाती हैं, प्रश्न चिन्ह लगता है ?
शाँप सुंघ गया हो जैसे ,नजर ऊपर न उठाये।।
पगार देता है तो लगता है जान निकल गई
दुधमूहों का पेट वो कहाँ ,गिरवीं रख आए ।।
दवा लेता है “साहब”दिन भर का पसीना वो
बताना जरा ग़रीबी का गुनहगार किसे बताये।।