**कामयाबी का परचम**
ठानी है दिल ने कुछ कर दिखाने के लिए ।
अब नहीं रुकेंगे ये कदम ज़माने के लिए ।।
जिसे दिक्कत हो वो अपना रास्ता बदल ले ।
हम इरादे नहीं बदल सकते ज़माने के लिए ।।
पैदा हुए हैं हवाओं का रुख मोड़ने के लिए ।
बहते पानी की तरह चट्टान तोड़ने के लिए ।।
काटें राहों में जमाना चाहे जितने मर्जी बिछाए ।
हममें भी हुनर है काटों से लड़ने के लिए ।।
तिनका समझने की भूल ना करना ।
अक्ल का कच्चा समझने की भूल ना करना ।।
जमाना देखता रह जाएगा कारनामे हमारे ।
हमको कोई आम समझने की भूल ना करना ।।
कामयाबी तो अब हम पाके रहेंगे ।
आसमाँ को धरती पे लाके रहेंगे ।।
कह दो उनसे जो जलते हैं हमसे ।
हवाओं का रुख हम मोड़ के रहेंगे ।।
देखना जल्द ही पैमाना बदलेगा ।
किस्मत का मेरी फ़साना बदलेगा ।।
वाह वाह करेगा एक दिन जमाना मेरी ।
जब सदाओं से मेरी ये जमाना बदलेगा ।।
हर फिजा नाम मेरा दोहरायेगी ।
हर फलक गुण मेरे गायेगी ।।
देखने वाले देखते ही रह जाएंगे ।
जब कामयाबी मेरी परचम लहराएगी।।