*कामदेव को जीता तुमने, शंकर तुम्हें प्रणाम है (भक्ति-गीत)*
कामदेव को जीता तुमने, शंकर तुम्हें प्रणाम है (भक्ति-गीत)
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कामदेव को जीता तुमने ,शंकर तुम्हें प्रणाम है
(1)
कामदेव का बाण न किंचित ,तुम पर चल पाया था
वह समाधि में लीन साधना ,भंग हेतु आया था
कामदेव के शत्रु देव ‘कामारि’ तुम्हारा नाम है
(2)
तुम देवों के देव सदा से ,महादेव कहलाते
चाह सुधा की रही सभी की ,तुम विष को पी जाते
कंठ तुम्हारा अब तक नीला ,विष करता विश्राम है
(3)
जग में रहकर भी तुम जग से, अनासक्त कहलाए
ढके बर्फ के पर्वत पर, धूनी हर समय रमाए
एक महायोगी की मुद्रा ,मिली तुम्हें अभिराम है
कामदेव को जीता तुमने ,शंकर तुम्हें प्रणाम है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451