कापुरुष
कापुरुष
मै अक्सर
कुछ न कह पाता हूँ
न कर पाता हूँ .
मै तब भी –
कुछ नहीं कह पाया था
जब मेरे बाप ने
मेरी प्रेमिका को वैश्या कहा था ,
और मेरे शरीर का लहू
पोरों में उतर आया था
बाप का गला टीप देने के लिए .
मगर मै
ऐसा न कर सका
रह गया था सिर्फ खून का घूंट पीकर .
मै तब भी
कुछ न कह पाया था
जब मेरी प्रेमिका ने कहा था
तुम अपने बाप के प्रति
कुत्ते जैसे वफादार हो
और मेरे लिए नामर्द के अवतार,
सिर्फ बेबसी से –
एकांत में आकर
जार जार रोया था .
मै तब्ब भी
कुछ नहीं कर पाया था
जब मेरे बाप ने
मेरे से आठ साल बड़ी औरत से
मेरी शादी कर दी ,
अपनी झूँठी शान और
असली पैसो के लालच में ,
सिर्फ बलि के बकरे की तरह
जिबह हो गया था .
और मै अब भी
कुछ नहीं कर पाता हूँ,
जब मेरे बच्चे अधनंगे होकर
अंग्रेजी धुन पर
कमर मटकाते है ,साथ में
बुढढे का दिमाग फिर गया है ,
कहकर घुड़की देते है ,
मै उन्हें सिर्फ
टुकुर टुकुर ताकता रह जाता हूँ .
— राजा सिंह