कान्हा
दे दो दर्शन तरस रहा, आंखों से सावन बरस रहा
श्याम मेरे कब आओगे, नैनो की प्यास बुझाओगे
वर्षों से मन भटका है, अब तुझ पर ही अटका है
बना बावरा होश नहीं, इसमें मेरा दोष नहीं
जब से लागी है लगन, खोया तन और खोया मन
घट घट में तुझे पाऊं मैं, और किसे अब ध्याऊँ मैं
मोहन मीठी मुरली वाले, आके मुझे गले लगा ले
तू है जग का रास रचईया, हाथ मेरा भी थाम कन्हैया
गोकुल प्यारा धाम तुम्हारा, जिव्हा पर है नाम तुम्हारा
बरसाने की राधा रानी, तक कर आंखें हुई दीवानी
दर्शन भिक्षा दे दो आज, सारे जग के ओ सरताज
युगल छवि है आँखों में, तुम बसे हो सांसो में
सुंदर तीखी चितवन तेरी, अर्जी सुन ले मोहन मेरी
श्याम तू अपने धाम बुला ले, मुझ पापी को गले लगा ले
कितनो को तूने तारा है, मेरा तू ही सहारा है
गीता का है ज्ञान दिया, कर्म का मर्म बखान किया
तुझसे ही बाँधी है डोर, चैन चुरा गया माखन चोर
जब तक तन में सांस रहेगी, कान्हा तेरी आस रहेगी