कान्हा
सुनि ल हमरो अरज़ मनुहार कान्हा
अबके आवs न हमरो दुआर कान्हा
मेवा मिसरी दोकान से मंगवले बानी
तोहरा खातिर हम झूला लगवले बानी
आके कई द न अंगना गुलजार कान्हा
अबके आवs न हमरो दुआर कान्हा
तोहरे खातिर दही हम जमवले रहब
तोहें खाए बदे माखन निकरले रहब
देखाइब तोहके ख़ईलर के चमत्कार कान्हा
अबके आवs न हमरो दुआर कान्हा
धनिया वाली परसादी बनलवे हईं
तोहरा स्वागत में लोगवा जुटवले हईं
भोग लगाईब हम कइयो परकार कान्हा
अबके आवs न हमरो दुआर कान्हा
-सिद्धार्थ गोरखपुरी