कान्हा
कान्हा, नंदलाल, मोहन,
बंसी बजाए कृष्ण कन्हैया।
गोपियों के मन में बसे,
विरह का रस पिघलाया।
गोकुल की धरती पर आए,
अन्याय को हराया।
माखन चोर कृष्ण की मखमली चादर,
गोपियों को मोहन ने पहनाया।
गोपाल, मधुसूदन, यशोदा के लाल,
कान्हा ने सबको प्रेम दिखाया।
व्रज की गलियों में लीला रचाई,
रास रचाकर सबको भाया।
कान्हा के लीला अद्भुत थे,
उनकी कहानियाँ अनन्य हैं।
गोपियों के मन को लुभाने वाले,
कृष्ण कन्हैया, तेरे नाम अमोल हैं।