कान्हा
अरज इतनी है बस कान्हा तेरा दीदार हो जाए।
तेरा ही नाम रट रट कर ये नैया पार हो जाए।।
भटकता है ये दिल मेरा जमाने की उलझनों में।
कृपा इतनी सी कर दो तुम तेरा ये दास हो जाए ।।
मिले उल्फत में जिनसे हम किया सबने किनारा ही।
करम इतना करो कान्हा की तुझसे प्यार हो जाए।।
तेरे लाखों दीवाने हैं इसी संसार सागर में।
मुझ पर भी तेरी रहमत जरा सी ही बरस जाए।।
अरज इतनी है बस कान्हा तेरा दीदार हो जाए।
उमेश मेहरा ( शिक्षक)
गाडरवारा (एम पी)
9479611151