कान्हा तेरी नगरी
कान्हा तेरी नगरी , आये पुजारी तेरे
चरणों में मस्तक , आये झुकाने तेरे
वंशी की धुन पर , नाचें पुजारी तेरे
मनमोहक छवि , सारे निहारें तुझे
गौएँ पुकारें हमें , ग्वाल सभी पुकारें हमें
बरसाने की गलिया , पल – पल बुलाएं हमें
तेरे दर्शन की , आस है प्रभु जी
तेरी चरण रज़ की , चाह है प्रभु जी
मस्तक झुकाने , तुझको आये मनाने प्रभु
तेरी सेवा में खुद को , आये लुटाने प्रभु
चरणों में बिठा लो , अपना सेवक बना लो प्रभु
भक्ति के रंग में , हमको भिगा दो प्रभु
गीतों की माला में , खुद को पिरो लें
तेरी भक्ति में , खुद को डुबो लें प्रभु
पीर सबकी दिल की , मिटा दो कान्हा
अपने दर का चराग , हमें बना दो कान्हा
कान्हा तेरी नगरी , आये पुजारी तेरे
चरणों में मस्तक , आये झुकाने तेरे
वंशी की धुन पर , नाचें पुजारी तेरे
मनमोहक छवि , सारे निहारें तुझे