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28 Jul 2023 · 1 min read

कान्हा तेरी नगरी

कान्हा तेरी नगरी , आये पुजारी तेरे
चरणों में मस्तक , आये झुकाने तेरे

वंशी की धुन पर , नाचें पुजारी तेरे
मनमोहक छवि , सारे निहारें तुझे

गौएँ पुकारें हमें , ग्वाल सभी पुकारें हमें
बरसाने की गलिया , पल – पल बुलाएं हमें

तेरे दर्शन की , आस है प्रभु जी
तेरी चरण रज़ की , चाह है प्रभु जी

मस्तक झुकाने , तुझको आये मनाने प्रभु
तेरी सेवा में खुद को , आये लुटाने प्रभु

चरणों में बिठा लो , अपना सेवक बना लो प्रभु
भक्ति के रंग में , हमको भिगा दो प्रभु

गीतों की माला में , खुद को पिरो लें
तेरी भक्ति में , खुद को डुबो लें प्रभु

पीर सबकी दिल की , मिटा दो कान्हा
अपने दर का चराग , हमें बना दो कान्हा

कान्हा तेरी नगरी , आये पुजारी तेरे
चरणों में मस्तक , आये झुकाने तेरे

वंशी की धुन पर , नाचें पुजारी तेरे
मनमोहक छवि , सारे निहारें तुझे

1 Like · 248 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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