कान्हा और मीरा
मन में तस्वीर बनाए हुए एक मूरत सजाए हुए
प्रेम का दीप जलाए हुए मिलन की एक आस है
सांवले के रंग में रंग गई दुनिया को भूल कर प्रेम में पड़ गई
लाज लज्जा का ख्याल न रहा कान्हा के सिवा कोई याद न रहा
प्रेम पाने की चाह में भटकती है भुला कर संसार को कान्हा कान्हा रटती रहती है
पी कर विष को अमृत कर डाला कान्हा के प्रेम में मृत्यु को झुका डाला
कान्हा के नाम से मुस्कान आती है बावरी जोगन रंगती जाती है
कोमल सा ह्रदय कोयल से बोली है कान्हा की मीरा हो ली है
हो गई दीवानी बन गई कृष्ण मीरा की प्रेम कहानी कब आएंगे कान्हा देखती राह दिवानी
समंदर सा गहरा पवन सा बहता है मीरा के संग कान्हा का प्रेम रहता है
मीरा के प्रेम को कोई समझ न पाया सारे जगत ठुकराया तो कन्हैया ने अपनाया
अपने नाम का सर पान कराया कान्हा ने मीरा को अपने में समाया 😍