कानून अपना काम करेगा
कि बात अपने तक ही रखना आगे मत कहना,
आजकल हर बात में पड़ता है सावधान रहना।
जब छुपा कर बात करनी होती हैं अक्सर,
तो धीरे से कहा जाता है फुसफुसा कर ।
लेकिन यह अफवाहों का बाजार सजाना है,
ऐसे गुपचुप बात करना तो बहाना है ।
कान सिर्फ दीवारों के, हुकमरान अब बहरा हुआ,
आरोपी, हुकमरान एक हुए आदमी है डरा हुआ।
चारों तरफ उठती चीखों को नही सुनता मानव आज,
मारकाट, बलात्कार, चीखों पर कान नहीं देता ‘राज’ ।
न्याय की कोशिशों पर हैं षड्यंत्रों के गहरे घाव,
आरोपी और हुकमरान का समझौते के लिए दबाव ।
न्यायालय से पहले सरकार का दखल भी आम हो गया है,
दबाव बनाने चौथा स्तंभ षड्यंत्रों को सरेआम ढो रहा है ।
कहते हैं कानून अपना काम कर रहा है,
किसे बचाना है उनका मंसूबा अब उभर रहा है ।
काम का मन्द गति से चलना स्पष्ट दर्शा रहा है,
कानून कैसे काम करेगा मैनेज किया जा रहा है ।
कानून के काम करने पर रोड़े हर प्रकार के,
जनतांत्रिक देश में ये काम अच्छे नही सरकार के।