कानून अंधा क्यों होता है ?
कानून अंधा क्यों होता है ?
सच्चाई को समझने में अक्सर ऑंखें धोखा खा जाती है ,और अपने -पराये का अंतर भी करती हैं, किसी को कम तो किसी को अधिक आंक सकती हैं , कानून की देवी सही और निष्पक्ष इन्साफ कर सके . उसका इन्साफ का तराजू कोई मतभेद ना कर सके ,इसीलिए कानून की देवी की आँखों में काली पट्टी बांध दी गयी . मगर कानून के ठेकेदारों ने उसका मतलब गलत निकाल लिया और ज़माने ने भी अपनी यही धारणा बना ली की ” कानून अंधा होता है”. . मगर अब उसका मतलब सही कौन निकलेगा ? लोगों की धारणा को कौन बदलेगा ? कोई तो हो ! आखिर कोई तो हो जो कानून का वास्तविक रूप सामने लाये , कोई तो हो ऐसा जो कानून के प्रति विश्वास दिलवाए. आखिर क्यों अपनी आँखों में काली पट्टी बांधे कानून की देवी हाथों में इन्साफ का तराजू लिए अदालतों न्यायधीश के पीछे खड़ी रहती है ? यह भेद लोगों को समझाए .
यकीन मान लिए जिस दिन यह सवाल हल हो जाएंगे तो
ना तो समाज में कोई अपराध होंगे ,ना अपराधी होगा और ना ही कोई अपराध से पीड़ित . मगर वोह शुभ दिन कब आयेगा ? यह तो ईश्वर ही जाने .