कानपुर के पास ट्रेन दुर्घटना पर शेर
देखा चिल्लाते लोगों को आँखे मेरी भर आई
कोई जाने बुरी घड़ी कैसे किसकी चल कर आई
घर से निकला सोच कि पहुँच जाऊँ सही ठिकाने पर
पर ऊपर वाला जाने मौत प्राण कब ले हर आई
दृश्य भयानक ऐसा देख पसीना छूट गया सबका
मंजूर यही विधाता को फिर आगे किसकी चल आई
घर में बैठे सोचा करते अपने वापस आयेंगे
टेढ़ी नजरें असमय ही क्यों लोगों को अब छल आई