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22 Feb 2022 · 1 min read

कातिल

लहद में भी नहीं मिलता सुकूं अब तो मिरे दिल को।
चला आया मैं यूँ ही छोड़ के तन्हा जो महफिल को।
शिकायत भी करें तो अब करे किससे बता यारों,
लिया पहचान जब अपनों में अपने ही जो कातिल को।

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