काट लिया हमने रात कैसे-कैसे
तुने बनाये हैं हालात कैसे-कैसे,
आदमी रखते जज़्बात कैसे-कैसे।
जीवन के अंतिम पड़ाव में सोचा,
काट लिया हमने रात कैसे-कैसे।
मां की लाडली पापा के आंखों का तारा,
सुनती हूं ससुराल में बात कैसे- कैसे।
बचपना, नादानियां कबके साथ छोड़े,
रखने पड़ते हैं एहतियात कैसे – कैसे।
तुने तो इंसान ही भेजा दुनिया में,
जगह-जगह दिखे जमात कैसे- कैसे।
तु रहीम तु करीम तु अकबर जहां का,
तुने बख्सा दुनिया को सौगात कैसे कैसे।
दिल पत्थर होता चला गया हमारा,
अपनों से खाये हैं मात कैसे कैसे।
चार पैसे क्या हाथ में आने लगे,
खोजने लगे अपनों से निजात कैसे – कैसे।
नूर फातिमा खातून” नूरी”(शिक्षिका)
जिला कुशीनगर
उत्तर प्रदेश