*कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)*
कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
1
गुरु-अपमान न कीजिए, वरना शिव का शाप
सर्प भुशुंडी जी बने, तत्क्षण अपने आप
2
गुरु जी को आई दया, मॉंगा यह वरदान
क्षमा शिष्य को दें प्रभो, धन्य-धन्य भगवान
3
निराकार व्यापक अमर, शिव आकाश-स्वरूप
गौरवर्ण काया लिए, सुंदर रूप अनूप
4
रुद्राष्टक गाने लगे, हे शिव आप महान
क्षमा-क्षमा प्रिय शिष्य को, करिए देव प्रदान
5
हो प्रसन्न शिव ने कहा, जन्म-मृत्यु दुष्चक्र
नहीं लगेगा पर तुम्हें, अब कुछ तनिक न वक्र
6
ऋषि लोमश जब मिल गए, जब सुमेरु आसीन
पहुॅंचे काग भुशुंडि जी, उन तक बनकर दीन
7
मानव का तन थे धरे, पर हठधर्म प्रधान
निर्गुण का चाहा नहीं, सुनना किंचित ज्ञान
8
ऋषि लोमश क्रोधित हुए, बोले बन जा काग
हठधर्मी की यह सजा, अरे नींद से जाग
9
मूल तत्व निर्गुण सगुण, दोनों एकाकार
सिर्फ समझ का फर्क था, हठ था व्यर्थ विचार
10
लोमश ऋषि ने फिर दिया, काग-रूप को ज्ञान
बालरूप में राम का, जिससे होता ध्यान
11
रामकथा दी काग को, अद्भुत ज्ञान प्रदान
कागभुशुंडी को मिला, शाप एक वरदान
12
नीले पर्वत पर बसे, नील-रूप का ध्यान
काग-रूप देने लगे, पक्षी-जन को ज्ञान
13
काग-रूप प्यारा लगा, कागरूप वरदान
कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान
————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451