कागज को तलवार बनाना फनकारों ने छोड़ दिया है ।
कागज को तलवार बनाना फनकारों ने छोड़ दिया है ।
धन बल वैभव के आगे नतमस्तक हो कर जोड़ लिया है।।
गिरवी पड़ी कलम की ताकत सत्ता के गलियारों में।
नजरें झुकी हुई है सत्य हकीकत से मुंह मोड़ लिया है।।
“कश्यप”