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22 Sep 2021 · 1 min read

काका हाथरसी

समाज की खामियों को पैने व्यंग्य में
कसते हुए काका हाथरसी अपनी बात को मुस्कुराते हुए कह जाते है समाज और राजनीति पर व्यंग्य बाण भी चलाते है । हास्य सम्राट और पदमश्री से विभूषित काका ने हास्य की धारा को अपने अन्त समय में भी बरकरार रखा । जब उनकी अन्तिम यात्रा ऊँट गाड़ी पर निकल रही थी तब भी श्मशान में काका जी ने अपनी हास्य फुलझड़ियों से जनसमुदाय को गुदगुदाया । यह साहस कविवर में ही था गमगीन माहौल में हास्य की धारा को प्रवाहित करने का ।

अग्रवार समाज के एक कार्यक्रम मंचन में काका का किरदार निभाने वाले श्री प्रभुलाल गर्ग अगले दिन से काका नाम से जाने जाने लगे । काकाजी की उक्त दोनों रचनाऐं गुदगुदी उत्पन्न करते हुए समाज पर तंज करती है “पुलिस महिमा “प्रसंग से हास्य पूरित व्यंग्य देखिए —

पड़ा-पड़ा क्या कर रहा, रे मूरख नादान
दर्पण रख कर सामने, निज स्वरूप पहचान

Language: Hindi
Tag: लेख
80 Likes · 754 Views
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