कांवड़िए
कुण्डलिया
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गंगाजल लेकर चले, कांवड़िए शिवभक्त।
ध्येय साधना में सदा, रहते हैं अनुरक्त।
रहते हैं अनुरक्त, घोष जय के गुंजाते।
भर भर कांवड़ खूब, शिवालय में पँहुचाते।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, गहन आस्था है अविचल।
करते जलाभिषेक, लिए पावन गंगाजल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य,३१/०७/२०२४