कांतिपति की कुंडलियां
पैसा ही है आजकल, जीने का आधार।
लेता था स्थान जो, कभी आपसी प्यार।
कभी आपसी प्यार, लिए हम जी लेते थे।
सारे ग़म व ऑंसू, मिल कर पी लेते थे।
लेकिन देखें आज, समय आया यह कैसा।
फीका लगता प्यार, अगर संग न हो पैसा।।
© नंदलाल सिंह ‘कांतिपति’