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5 Sep 2024 · 1 min read

कांतिपति की कुंडलियां

पैसा ही है आजकल, जीने का आधार।
लेता था स्थान जो, कभी आपसी प्यार।
कभी आपसी प्यार, लिए हम जी लेते थे।
सारे ग़म व ऑंसू, मिल कर पी लेते थे।
लेकिन देखें आज, समय आया यह कैसा।
फीका लगता प्यार, अगर संग न हो पैसा।।

© नंदलाल सिंह ‘कांतिपति’

1 Like · 32 Views
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