कांच की तरह
हादसों को बस हादसा समझो,
खत्म ज़िन्दगी का सवाल मत समझो ।
टूट कर जो फिर से जुड़ न सके,
कांच की तरह अपना किरदार मत समझो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
हादसों को बस हादसा समझो,
खत्म ज़िन्दगी का सवाल मत समझो ।
टूट कर जो फिर से जुड़ न सके,
कांच की तरह अपना किरदार मत समझो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद