कांग्रेस की आत्महत्या
🎇 विदाई🎇
दंगो से दंगो को दबाना, नंगो को नंगो से लड़ाना।
बसी हुई बस्तियां जलाना, धर्म जाति में द्वेष बढ़ाना ।।
संस्कार का मूल मिटाना, उत्तर से दक्षिण को लड़ाना।
राम नाम को झूठ बताना, अल्ला रसूल पर चुप कर जाना।।
जननी है तू क्षेत्रवाद की, जातिवाद परिवाद की।
नक्सल तेरी कोख से जन्मा, पिता बनी आतंकवाद की।।
माता है तू घुसखोरी की, कत्ल डकैती अरु चोरी की।
सरकारी फाइल से जन्मी, जनमानस के मजबूरी की।।
तू तो बस एक नागिन है, कितनी बड़ी अभागिनी है।
खुद के बच्चे खाकर खुश है, तू तो बड़ी डरावनी है।।
सोया भारत जाग चुका है, कथनी करनी देख चुका है।
पैसे खातिर देश हो बेचे, तुमको अब पहचान चुका है।।
भारत की जनता उदार है, तुमको फिर भी माफ कर रही।
धीरे धीरे सब राज्यों से, सुरसा पूतना को साफ कर रही।।
हे व्याभिचारिणी “कांग्रेस” सुन ले, अब तो तेरा तर्पण है।
काशी के गंगा घाटों पर, तुझको मुखाग्नि समर्पण है।।
🌷संजय🌷