काँटों को अपनाकर देखें
आओ फूल खिलाकर देखें
काँटों को अपनाकर देखें
खुली आँख से रातों में अब
सपने नए सजाकर देखें
बड़े दिनों से दर्द सहा है
चलो आज मुस्काकर देखें
रिश्ते नाते दूर हुए सब
फिर परिवार बनाकर देखें
मंजिल की चाहत में गुम थे
जो खोया था पाकर देखें
धन दौलत में डूब गए सब
अहम को आज जलाकर देखें
आँखों में जो कैद हैं मेरे
मोती आज लूटाकर देखें
तेरे आने की आहट है
दुल्हन सा शरमाकर देखें
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’