काँटा
चुभे जब पांव में कांटा बहुत ही दर्द होता है
निकल कर अश्रु आंखों से कपोलों को भिगोता है
नहीं आता है चुभने खुद-ब-खुद वो पैर में कांटा
रौंदते हम उसे पैरों से उसका दोष होता है
़़़़़़़़ अशोक मिश्र
चुभे जब पांव में कांटा बहुत ही दर्द होता है
निकल कर अश्रु आंखों से कपोलों को भिगोता है
नहीं आता है चुभने खुद-ब-खुद वो पैर में कांटा
रौंदते हम उसे पैरों से उसका दोष होता है
़़़़़़़़ अशोक मिश्र