क़ाफ़िया तुकांत -आर
क़ाफ़िया तुकांत -आर
रद़ीफ पदांत -हुआ तो कैसे
शिक्षित होकर भी बेरोजगार हुआ तो कैसे
शिक्षा और ज्ञान का व्यापार हुआ तो कैसे।
वक्त के साथ बदले रिश्ते और मर्यादा…
बदली फ़िजा बदला व्यवहार हुआ तो कैसे।
दान- धर्म-कर्म से मिलता पुण्य कमाना..
लेना -देना भी अब बाज़ार हुआ तो कैसे।
दर- दर मन्नतें मांगी औलाद की खातिर
मां-बाप को रखना फिर भार हुआ तो कैसे।
जिम्मेदारी पूरी की ताउम्र जिसने ‘योगी ‘
उम्र के इस पायदान पर बेकार हुआ तो कैसे।
योगमाया शर्मा “योगी ”
कोटा राजस्थान