क़लम जो बंदूक बनी
सुन ओए भगतसिंह-ओए भगतसिंह
याद करके तुम्हें दिल-रोए भगतसिंह…
(१)
तुम जैसे यारों के-यार को खोकर
हम अपना सब कुछ-खोए भगतसिंह…
(२)
हम ले आएंगे-एक और इंकलाब
अब चाहे जो भी-होए भगतसिंह…
(३)
उन्हीं से निकलेंगी-आज़ाद कलमें
तुम जो बंदूकें-थे बोए भगतसिंह…
(४)
जब तक अधूरे-हैं ख्वाब तुम्हारे
आख़िर कैसे कोई-सोए भगतसिंह…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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