#क़तआ / #मुक्तक
#क़तआ / #मुक्तक
(“दिखावा-पसंद” अपनी औक़ात को आईना दिखाने के लिए माफ़ करें। करना चाहें तो)
【प्रणय प्रभात】
“लुभाते अब नहीं मेकअप,
ना ज़ेवर और पोशाकें,
चहेते वो हैं जिनसे अनगिनत
मुस्कान खिलती हैं।
जिन्हें कल देखकर के लोग
सच में रश्क़ करते थे,
वो लंबी गाड़ियां तो अब
किराए पर भी मिलती हैं।।”
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)