आयी प्यारी तीज है,झूलें मिलकर साथ
हमको लगता है बेवफाई से डर....
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ
हम सभी केवल अपने लिए जीते और सोचते हैं।
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-177 के श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*जनता का वाहन कहो, रिक्शा जिंदाबाद (कुंडलिया)*
निर्मल निर्मला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
समस्याओ की जननी - जनसंख्या अति वृद्धि
एक पेड़ की हत्या (Murder of a Tree) कहानी
अंदर मेरे रावण भी है, अंदर मेरे राम भी
शराबियो और जुआरीओ को हर समय रुपए की तलब लगी रहती है उनके अंद