कह मुकरियां
कह मुकरी
1-दिल से मेरे न जाता है
दिन रैन मुझे सताता है
रातों को नित दुखावे जिया
ऐ सखी दीया?न सखी पिया।
लिपट -लिपट सताता है
अंग अंग छू जाता है
मुझको प्रिय यह सांवरा
ऐ सखी बालमा? न सखी आंचरा।
नित सांझ को आता है
भोर होते चला जाता है
तड़पाता मुझे विन संवाद
ऐ सखी साजन? न सखी चांद।
सांवली सूरत लुभा गया।
मेरे नैनों में समा गया।
घुला ऐसे ज्यूं नभ में बादल।
ऐ सखीसाजन?न सखी काजल।
पीला साफा रसभरी सूरत।
रूप लुभाना भोली मूरत।
मूंछे मुंह में रस का जाम।
ऐ सखी साजन? न सखी आम।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश