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9 Dec 2021 · 1 min read

कह मुकरियां

‌कह ‌मुकरी

1-दिल से मेरे न जाता है
दिन रैन मुझे सताता है
रातों को नित दुखावे जिया
ऐ सखी दीया?न सखी पिया।

लिपट -लिपट सताता है
अंग अंग छू जाता है
मुझको प्रिय यह सांवरा
ऐ सखी बालमा? न सखी आंचरा।

नित सांझ को आता है
भोर होते चला जाता है
तड़पाता मुझे विन संवाद
ऐ सखी साजन? न सखी चांद।

सांवली सूरत लुभा गया।
मेरे नैनों में समा गया।
घुला ऐसे ज्यूं नभ में बादल।
ऐ सखीसाजन?न सखी काजल।

पीला साफा रसभरी सूरत।
रूप लुभाना भोली मूरत।
मूंछे मुंह में रस का जाम।
ऐ सखी साजन? न सखी आम।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
155 Views
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