Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2024 · 1 min read

*कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)*

कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे (गीत)
_________________________
कहॉं गए वे लोग जगत में, पर-उपकारी होते थे
1)
भोले-भाले थे जो मन के, चालाकी से बचते
छोटे-से घर में रहकर खुश, उत्सव प्रतिदिन रचते
रहते तो थे जग में लेकिन, कब संसारी होते थे
2)
नहीं वृत्ति छल और कपट की, जिनमें किंचित दीखी
निजी तिजोरी भरने वाली, कला न कलुषित सीखी
जिनके मुख के शब्द हमेशा, सत्व्रतधारी होते थे
3)
दिखा गए सत्पंथ हमें जो, मरुस्थल में जीने का
दे अमृत जग को बदले में, खुद विष को पीने का
संतोषी थे प्रतिपल-प्रतिक्षण, प्रभु आभारी होते थे

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

75 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

शायद मैं भगवान होता
शायद मैं भगवान होता
Kaviraag
धुप सी शक्ल में वो बारिश की बुंदें
धुप सी शक्ल में वो बारिश की बुंदें
©️ दामिनी नारायण सिंह
"अन्तरिक्ष यान"
Dr. Kishan tandon kranti
बेजुबानों से प्रेम
बेजुबानों से प्रेम
Sonam Puneet Dubey
यूँ  तो  दुनिया  में  मेले  बहुत  हैं।
यूँ तो दुनिया में मेले बहुत हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जंग तो दिमाग से जीती जा सकती है......
जंग तो दिमाग से जीती जा सकती है......
shabina. Naaz
नींव की ईंट
नींव की ईंट
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अपना अपना सूरज
अपना अपना सूरज
Karuna Bhalla
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
वक़्त का समय
वक़्त का समय
भरत कुमार सोलंकी
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
हल ....
हल ....
sushil sarna
सतयुग, द्वापर, त्रेतायुग को-श्रेष्ठ हैं सब बतलाते
सतयुग, द्वापर, त्रेतायुग को-श्रेष्ठ हैं सब बतलाते
Dhirendra Singh
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
कुछ पन्ने मेरी जिंदगी के...। पेज न.2000
Priya princess panwar
जीव-जगत आधार...
जीव-जगत आधार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
अरशद रसूल बदायूंनी
भूल सकते थे आपको हम भी
भूल सकते थे आपको हम भी
Dr fauzia Naseem shad
*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किला परिसर में योग कार्यक्रम*
*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किला परिसर में योग कार्यक्रम*
Ravi Prakash
यूँ झूटी कहावत का क्या फ़ायदा
यूँ झूटी कहावत का क्या फ़ायदा
Shilpi Singh
कल तलक
कल तलक
Santosh Shrivastava
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
Phool gufran
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr.Pratibha Prakash
ममता का रूप है नारी
ममता का रूप है नारी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*** पुद्दुचेरी की सागर लहरें...! ***
*** पुद्दुचेरी की सागर लहरें...! ***
VEDANTA PATEL
मीडिया का वैश्विक परिदृश्य
मीडिया का वैश्विक परिदृश्य
Sudhir srivastava
कभी.....
कभी.....
देवराज यादव
कहते हैं सब प्रेम में, पक्का होता आन।
कहते हैं सब प्रेम में, पक्का होता आन।
आर.एस. 'प्रीतम'
माता, महात्मा, परमात्मा...
माता, महात्मा, परमात्मा...
ओंकार मिश्र
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
Subhash Singhai
Loading...