कही मुझे कोरोना तो नही
अफनाहट सी हो रही है ।
घर मे बैठे हुए ।
मिलना चाहता हूँ अपने सखा से ।
फैल न जाए कही कोरोना हमको डर है ।
फैल जाए भले कोरोना ।
पर दोस्ती को कभी नही है खोना ।
केवल अब फोन से बात होती है ।
क्योकि घर उसका दूर है ।
विद्यालय मसखरी वो सब ।
अभी भी हमे याद है ।
पर क्या करे फिलहाल ।
विद्यालय सब अवकाश से बंद है ।
हमको सर्दी और खांसी हो गई है ।
श्वास लेने मे हो रही परेशानी ।
कही मुझे कोरोना तो नही हुआ ।
पहुंचा जब ले बीमारी ।
चिकित्सक के पास ।
बोला थोड़ा दूर ही रहो ।
ये लो दवा ।
इसका सेवन करो तुम दिन मे चार बार ।
मास्क लगाओ नाक -मुंह पर ।
घूमो न ऐसे बाहर ।
अभी भी सर घूम रहा है ।
धरती घूम रही है ।
या भूकम्प हिला रहा है ।
पर बेचैनी कुछ जरूर सी है ।
कही मुझे कोरोना तो नही ।
बात हुई फोन पर दोस्त से ।
बोला हमने तबीयत है खराब ।
कही मै हो तो न गया कोरोना का शिकार ।
शुभ -शुभ बोल दोस्त ने कहा ।
आया नही न संक्रमित के सम्पर्क मे ।
लतीफे बोल उसने हमे खूब हंसाया ।
न जाने कब ठीक हो गया ।
ये तो था मौसमी बुखार ।
झूठ ही हो रहा था चिंतित ।
कही मुझे कोरोना तो नही ।
खामखां हो रहा था परेशान ।
दोस्त की लतीफे की ।
एक ही खुराक लेते ही ।
जैसे सब कुछ ठीक हो गया ।
जान से भी ज्यादा तुझे ।
चाहता हूं तुझे यार ।
तुम दूर होते भी ।
मेरे दिल के करीब हो गए।।
सब रोग हो गए दूर ।
जब से हम खुश दिल मिजाज हो गए।
??Rj Anand Prajapati ??