कहीं भी जाओ
कहीं भी जाओ
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तुम कहीं भी जाओ
कहीं से भी आओ
तेरा जिक्र,तेरा फिक्र
हर हाल हालात में होगा
तेरी बात और जज्बात
हर सांस का हिसाब होगा
तन्हाई में तेरी लड़ाई का भी
मुलाकातों से ज्यादा जवाब होगा
मेरे किस्से और कहानियों में
उदासी,खामोशी का अल्फाज होगा
और मेरी हर याद,फरियाद में
यादों की हर शैली ख्वाब होगा
मनसीरत चाहे कुछ भी कहे
हर उम्र में प्रेम का शवाब होगा
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)