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2 Dec 2021 · 1 min read

कहीं दे रहा धुआंँ खिलौना।

ग़ज़ल खिलौना

जहांँ देखिए वहांँ खिलौना।
मेरी आंँख में जहांँ खिलौना।

कहीं रोशनी दिया है उसने।
कहीं दे रहा धुआंँ खिलौना।

बहुत खेल ली दिल से तुमने।
बताओ रखा कहांँ खिलौना?

मेरे नज़्म में दिखा तुम्हें क्या?
बना चांँद कहकशांँ खिलौना।

हुई कश्मकश जहांँ मुहब्बत
गिरा टूट कर वहांँ खिलौना।

हुई मुख़्तसर ये ज़िंदगी है।
सबब इश्क़ इम्तिहाँ खिलौना।

©®दीपक झा “रुद्रा”

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