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3 Aug 2018 · 1 min read

कहीं तो मिलेगी

कहीं किस्से,
कहीं कहानी,
कहीं भीगे हुए,
तेरे कदमो.
की निशानी,
चलो चलते हैं
ढूंढने फिर से,
वह दिन,
कहीं तो मिलेगी,
ज़िंदगानी।

हर पल छुपे,
आगोश में रहना,
कितनी ही पीलेना,
नज़रों से,
मगर होश में रहना।
हर पल जैसे ,
जन्नत का एहसास,
होता था,
गम मेरा और
उदास
तू होता था

अब ढूंढ़ते हैं,
क्या फिर वह कहानी
मिलेगी?
क्या फिर भीगी हुई कोई
पलक
पानी-पानी
मिलेगी?
कहीं तो मुझे
ज़िंदगानी,
मिलेगी।

राजेन्द्र सिंह 03/08/2018 स्व-रचित कविता सर्वाधिकर सुरक्षित

Language: Hindi
244 Views
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