*कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है (हिंदी गजल ग
कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है (हिंदी गजल गीतिका)
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1
कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है
जन्म-मरण इस धरती पर, साधारण जीवन-क्रम है
2
वर्ष मिले सौ क्यों मानव को, जीने को धरती पर
सौ वर्षों का कालखंड भी, तय करने को कम है
3
पल-भर में चलता-फिरता तन, मिट्टी बन जाता है
पता नहीं यह जीवन सच है, या फिर केवल भ्रम है
4
रोज समस्या खटकाती है, घर के दरवाजे को
रोज उसे बाहर रखने में, करना पड़ता श्रम है
5
पतझड़ में अच्छा लगता है, पत्तों का गिरना भी
क्षोभ तभी है जब वसंत में, दौड़ा आता यम है
6
तर्कशास्त्र में क्या रक्खा है, इससे जीत न होती
वही जीतता है जिसकी, बाहों में होता दम है
7
मृत्यु भयावह है कितनी, जाकर यह उससे पूछो
खोया जिसने साथी जिसकी, ऑंख आज भी नम है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451