कहीं कोई परशुराम जन्म!
गलत –गलत करते करते,गलत सहते सहते।गलत कहते कहते, अभी तक इस कचरे को हटा नही पाया है। क्योंकि? हमने अपने को नही पहचान पाया है। दुहाई बुद्धिमान की देता चला आया है। तीनों युगों में से तू कलयुग को लेकर आया है।यह गलत हो रहा है,वह गलत हो रहा है। पर! कुछ कर नही पा रहा है।उस पर कोई असर नही हो रहा है।बस! ऐसे ही जिंदगी जीता चला आ रहा है।वह इंतजार कर रहा है, कहीं कोई परशुराम जन्म ले रहा है।