कहीं किसी रोज़
कहीं किसी रोज़
बस ऐसा हो जाये
मेरे अपने
मेरे टूटे हुए दिल के
बिखरे सपने
मेरे मां बाप
मेरे से जुड़े
मेरे सब प्रियजन
मुझे किसी राह के
एक मोड़ पर
अचानक मिल जायें
बेशक न बोलें
न पहचानें मुझे
न आयें पास मेरे लेकिन
दूर से ही सही
मुझे उनका एक
आसमान में
रात को चमकते
चांद की तरह
दीदार हो जाये
एक झिलमिलाते सितारे की
रोशनी की चिंगारी की तरह
बस एक पल को
उनकी झलक देखने का सौभाग्य
मंदिर में मिले
प्रभु के दर्शन और प्रसाद की तरह
प्राप्त हो जाये।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001