Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2022 · 2 min read

“कहीं असंवेदनशीलता के चादरों में ना लिपट जाएँ “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
============================
आज हमें विज्ञानिकों ने एक नायाब तोफा दे रखा है ! इन यंत्रों के माध्यम से हम विश्व से जुड़ने लगे हैं ! आये गए दिन नए मित्र ,कुछ श्रेष्ठ कुछ सम्मानीय और कुछ पुराने मित्रों की टोलियां, जो अतीत के बादलों के आंचलों में छुपे पड़े थे ,सारे के सारे सामने आकर हमें खुशियां देकर दोस्ती के बंधनों में बंध गए ! हम अपना सन्देश ,अपनी बातें ,प्रतिक्रिया ,कमेंट इत्यादि का आदान प्रदान करने लगे ! कभी कभी विडिओ चैटिंग भी करने का अवसर मिल जाता है ! टेलीफोन की भी आधुनिक सुविधा हमें मिल गयी ! ……..परञ्च कुछ बातें तो चुभती है…..जब सिर्फ हमारे पास सीमित संसाधन थे एक चिठ्ठी और दूसरा हमारा टेलीफोन हम बेहिचक लोगों से बातें करते थे ! लम्बी लम्बी कतारें पी ० सी ० बूथों पर देखने को मिलती थी ! हम बातें करते थे ..” बाबु जी से बातें कराओ …माँ को बुलाओ …बहनें कहाँ है ..चुनु ..मुन्नू को कहो मुझसे बातें करेंगे …तरह तरह के हिदायत उन्हें देंगे “…..माहोल ही कुछ ऐसा था ! परन्तु आज का दौर कुछ बदला बदला नजर आने लगा है ! हम बातें तो आज भी करते हैं पर अधिकतर इन यंत्रों में सिमटते जा रहे हैं ! सन्देश तो हम आज द्रुत गति से भेजते हैं पर हमें ऐसा नहीं लगता है कि हम आइ०ऍम ० एफ० की भिक्षा राशि एक दुसरे को अग्रसारित कर रहें हैं ? नक़ल की हुई पोस्टों से लोगों को भ्रमित करते रहते हैं ! बातें अपनी बहुत विरले हुआ करती है ! यदा कदा किन्हीं का कमेंट आ जाता है ! लोग अधिकांशतः इतने शोर्ट कट हो चले हैं कि हमारी बातें क्यों ना दुःख ,पीड़ा ,पश्च्याताप और संवेदनायुक्त हो हमें तो “लाइक ” करना आता है ! जहाँ तक पहले चिठ्ठियाँ लिखी जाती थी ! इन श्रेणियों में श्रेष्ठ लोग भी आते थे …शिक्षक को भी पत्र लिखे जाते थे ..मित्र ..सगे सम्बन्धियों से सीखने की परम्परा थी ! आज चाहे हम व्हाटसप पर लिखें ..मेसेज पर कुछ लिखें ..तो हम वर्षों इंतजार क्यों ना करें …हम जवाब अथवा प्रतिक्रिया को तरस जाते हैं !..और तो और यदि कोई हमारे टाइम लाइन में खास करके पत्र टैग करता है तो हम सोचते हैं कि हमारे एल ० ओ ० सी ० का अतिक्रमण किसी पकिस्तानिओं ने तो नहीं कर दिया ! पहले तो उन्हें अनफोलो करते हैं …अनफ्रेंड करते हैं …फिर बात नहीं बनी तो …ब्लाक करते हैं ! …..आज इन विषयों पर हमें ध्यान देना होगा ! हमें तो आशंका है कि “कहीं असंवेदनशीलता के चादरों में हम ना लिपट जाएँ “!……..अभिनन्दन !
===============================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Hindi
Tag: लेख
146 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सम्भाला था
सम्भाला था
भरत कुमार सोलंकी
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
Rj Anand Prajapati
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
🙅लक्ष्य🙅
🙅लक्ष्य🙅
*प्रणय*
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
उज्जैन घटना
उज्जैन घटना
Rahul Singh
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Sometimes even after finishing the chapter and bidding it a
Sometimes even after finishing the chapter and bidding it a
Chaahat
ऋतु परिवर्तन
ऋतु परिवर्तन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
Sunil Maheshwari
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
VINOD CHAUHAN
समय को पकड़ो मत,
समय को पकड़ो मत,
Vandna Thakur
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
Chunnu Lal Gupta
बुझे अलाव की
बुझे अलाव की
Atul "Krishn"
बावला
बावला
Ajay Mishra
"कु-समय"
Dr. Kishan tandon kranti
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
Shyam Sundar Subramanian
आजाद हिंदुस्तान में
आजाद हिंदुस्तान में
gurudeenverma198
ज़िम्मेदार ठहराया गया है मुझको,
ज़िम्मेदार ठहराया गया है मुझको,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#कमसिन उम्र
#कमसिन उम्र
Radheshyam Khatik
*मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)*
*मारा नरकासुर गया, छाया जग-आह्लाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मोहल्ला की चीनी
मोहल्ला की चीनी
Suryakant Dwivedi
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
Neeraj Naveed
अभी  बाक़ी  है  मेरी  जान , तेरी  जान  की  साथी ,
अभी बाक़ी है मेरी जान , तेरी जान की साथी ,
Neelofar Khan
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
मैं इश्क़ की बातें ना भी करूं फ़िर भी वो इश्क़ ही समझती है
Nilesh Premyogi
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बस पल रहे है, परवरिश कहाँ है?
बस पल रहे है, परवरिश कहाँ है?
पूर्वार्थ
3074.*पूर्णिका*
3074.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...