कहिए, कितने सुखी है आप
सम्मुख करू प्रस्तुत, एक प्रश्न मै आज
किस माथे है मानव का ताज
बीए एमए सुनार भी नाली छाने
बाकि क्या रहा कोई काज
बेरोजगारी मे पलता अपराध का साँप
कहिए,
कितने सुखी है आप
लहू चूसे गरीबी का, मंदिर मे आ बजाए ‘ गाल ‘
नियत समझ के तेरी, भए प्रभू ठन ठन गोपाल
मानव उड़ा,
मानवता भी उड़ गई बन कर भाप
कहिए,
कितने सुखी है आप
मानव कलयुग मे क्या जीता होगा
अहं अहंकार क्रोध ही पीता होगा
पुण्य से बड़ा यहाँ है ,,पाप का नाप
कहिए,
कितने सुखी है आप
चुप करवाया कोख मे बेटी
कृत्य देख ईश्वर गया कांप
मुख पर माता शैतान की छाप
कहिए,
कितने सुखी है आप
कहने को तो प्रेम है पाती है
पर है मर्म का अभाव
कूंठा है विक्षिप्त जीवन की
रिश्तो का ये धूर्त स्वभाव
बैठे है यही पंचायती ‘ खाप ‘
कहिए,
कितने सुखी है आप
चंदन को यहां भुजंग है काटे
जन जन को अपना विष है बाटे
गंगा नहाए मन क्या निर्मल होता होगा ?
समाज को लगा अबला का श्राप
कहिए,
कितने सुखी है आप
सदानन्द