कहा
कहां चले गए वो लोग
जो कि दिल के पास थे
न जाने कब बगल गए
जो हमारी आस थे।
विश्वास की हमारे लो
धज्जियां सी उड़ गईं
चाहतें चुप हो गईं
आहटें भी सो गई।
उजड़ी राहों पे जैसे
मन पंछी बैठा उदास
आता है उड़ना उसे
पेर नहीं उड़ने की प्यास।।
कहां चले गए वो लोग
जो कि दिल के पास थे
न जाने कब बगल गए
जो हमारी आस थे।
विश्वास की हमारे लो
धज्जियां सी उड़ गईं
चाहतें चुप हो गईं
आहटें भी सो गई।
उजड़ी राहों पे जैसे
मन पंछी बैठा उदास
आता है उड़ना उसे
पेर नहीं उड़ने की प्यास।।