कहा जाता
तेरा एहसास जो नस नस में जाता है,
रंग चाहत का ज़रा और निखार जाता है…
ज़िन्दगी रोज़ सजाती है मुझे दुल्हन सा,
ख़्वाब लेकिन मेरा हर रोज़ बिखर जाता है…
अक़्ल होती है ये हैरान मिज़ाज़ ए दिल पर,
अपने वादों से अगर कोई मुकर जाता है…
उम्र भर साथ निभाने की कसम खायी थी,
छोड़ कर हाल में अब ऐसे कहाँ जाता है….