कहार
एक पृष्ठ मेरी आशा से ….
क्षितिज पर दिखते है वो कहार,
इस क्षण नयनो को मेरे यार,
झरने दृग जल के बहते है
उसमे बैठा है मेरा प्यार.
उनसे एक बात थी कहनी,
सुन री चलती शीतल समीर.
कोई दीवाना रो रहा है दूर
तुम तो बन गयी हो अमीर
गरीब थे धन दौलत से
मगर दिल मे मेरे प्यार ही प्यार
अश्रु ईधन का काम कर रहे
दिल मे धधकते स्वप्न अंगार
सांस और चल चल कर करती
मेरे मन पर नगण्य प्रहार
ज्यो ज्यो ओझल तुम होती हो
धसती रहती एक कटार
मानव जीवन रहस्य है एक
एक और पर्दा है लाज का
प्रेम की पीड़ा को लेकर
अजीब अभिनय है समाज का
प्रीत की रीत तो यही है कहती
त्याग, बलिदान, दुःख और इंतज़ार………………