कहानी
कविता
शीर्षक – कहानी
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देख सिनेमा टीवी मेरा मन अकुलाया
बरसों बीत गये ये मेरा मन मुरझाया ll
कोई आकर के एक किस्सा तनिक सुनादो
दादी नानी को कोई तो तनिक बुलादो ll
उनसे सुननी है हमको एक प्रीति पुरानीl
काले काजल के टीके सी रीति पुरानीll…
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जब संझा होती सब खटिया डाल बैठते।
और कहानी सुनने की ज़िद पाल बैठते।
सब पर लाढ़ लुटावे अम्मा हाथ फेरकर l
दीदी भैया और चुन्नू को साथ टेर कर l
फिर शुरू करे वीर शिवा की जीत कहानी
काले काजल के टीके सी रीति पुरानी…..
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उन किस्सों में ठाकुर पंडित नाई होंगे l
और वीरबल होगा हातिमताई होंगे ll
फिर शुरू कहानी होगी पावन गीता कीl
रामकथा में रामचन्द्र और सीता की ll
यह रामकथा है भारत की नीति कहानीl
काले काजल के टीके सी रीति पुरानीll…
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देश प्रेम में… डूबी डूबी बाते होंगी l
देश भक्ति में रंग बिरंगी राते होंगी ll
कैसा ये..रंग दे बसंती गीत सुनेगे l
इंकलाब के नारे का संगीत सुनेगे ll
और सुने झांसी रानी की जीत कहानीl
काले काजल के टीके सी रीति पुरानीll…
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हाथी शेर और सियार के किस्से होंगे l
चतुर लोमड़ी और प्यार के किस्से होंगे ll
एक कहानी सात समुंदर पार की होगी l
जिन्न परियों के सुंदर संसार की होगीll
बचपन से ही इन किस्सों से प्रीत पुरानी l
काले काजल के टीके सी रीति पुरानीll..
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बने आधुनिक और सभ्यता दूर हो गई l
अपने दूर हुये किस्मत मजबूर हो गई ll
फिर से लौटा दे कोई बचपन वाले दिनl
बालपने की मीठी सी अनबन वाले दिनll
और सुनाये रामायण सी नीति पुरानी l
काले काजल के टीके सी रीति पुरानी ll…
⭐⭐⭐⭐
राघव दुबे